लक्ष्मण आचार्य को जन्मदिन पर रचनाकार शिवकुमार खरवार "राही" ने अपने अंदाज में बधाई दी

लक्ष्मण आचार्य को जन्मदिन पर  रचनाकार शिवकुमार खरवार "राही" ने अपने अंदाज में बधाई दी

माननीय प्रधानमंत्री जी के रत्नों में एक रत्न ऐसे भी हैं, लक्ष्मण आचार्य,

जो वाराणसी जिले का जिला महामंत्री जिलाध्यक्ष काशी क्षेत्र के  दो बार संगठन महामंत्री दो बार काशी क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष दूसरी बार एम एल सी प्रदेश के दूसरी बार उपाध्यक्ष भाजपा उत्तर प्रदेश सरकार में विधान परिषद में उप नेता  माननीय श्री लक्ष्मण आचार्य को को मेरी यह रचना उनके जन्मदिन (3 अक्टूबर 2022) को जन्मदिन पर  समर्पित है।

इस प्रस्तावना का मुख्य उद्देश्य प्रकृति की धरा में सिमट कर कुछ करना होगा ।अनेकों धर्म अनगिनत भाषाएं संस्कृतियां और सभ्यताएं काल की गाल में समाप्त हो जाती है। इसलिए प्रकृति और परमात्मा को स्मरण कर युग प्रवर्तक माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को मजबूत करने दृष्टिकोण से प्रकृति द्वारा हमें जो बार -बार प्रेरणा मिलती है। उसके अनुकूल कुछ करने की भाव की प्रस्तुति है यह रचना।

किसी को भी प्रकृति से उपर नहीं सोचना नहीं चाहिए पता नहीं कब    मोदी जी प्रकट हो जाय जो निजी स्वार्थ का मुल‌ ही नष्ट कर दें। भाव का समर्पण सम्पादक मंडल को प्रेषित है।

दीन बदलें या ना बदलें पर वक्त बदलता रहता है।
वक्त बड़ा बेरहम निर्दयी बार - बार बदलता है।
हमनें सुना वक्त कभी शकों  के साथ था।
थोड़ी सी करवट बदली यूनान के पास था 
पन्ना पलट कर देखा हुणों के संग में 
खुब बनाया रिस्ता मुगलों के वंश से 
हमनें कहां वक्त से क्यू नही ठहरता है। 
वक्त बड़ा बेरहम निर्दयी बार - बार बदलता है।्््
वक्त ने अंग्रेजों को एक बड़ा  अवसर दिया।
कभी नहीं ढ़लता सुरज जमी पर ऐसा वल दिया ।
वक्त घबड़ा गया थोड़ा डगमगा गया।
वक्त को इन्सा क्या मुर्ख समझता है।
वक्त बड़ा बेरहम निर्दयी बार-बार बदलता है। ्््
आजादी के दिवानें बस गीत सुनहरे गाते थे।
भारत मां की चरणों में बस शिश चढ़ाते जाते थे।
वक्त ने गांधी से की बात एक नया इतिहास रचे।
गांधी जी ने कह दिया  नेहरू जी घर चले
वक्त ठहर गया वहीं  सहम गया
वक्त ने देखा अम्बेडकर को तू बार - बार क्या लीखता है ।
प्रकृति आधारित संबिधान बस भारत में ही बनता है।
पेचा पड़ गई जाती बाद की अब वक्त ही वक्त से लड़ता है।
वक्त बड़ा बेरहम निर्दयी बार - बार बदलता है।्््
संजय इन्दिरा राजीव जी 
चरण दिसाई लोहिया जी 
बी पी शरद मुलायम लालु पासवान और माया जी 
वक्त हाथ जब इनपे फेरा 
गुरु बन गई सोनिया जी 
 अब वक्त का नाम नियत जीसे घेरे पड़ा अंधेरा था 
छटां अंधेरा वक्त अब होले -होले बढ़ता है।
वक्त बड़ा बेरहम निर्दयी बार - बार बदलता है। ्््
कल्याण अटल आडवाणी जोशी 
राजा नाथ का रथ निकला
योगी - योगी मोदी  - मोदी वक़्त इन्हीं से बढ़ता है।
वक्त बड़ा बेरहम निर्दयी बार - बार बदलता है।्््
शैवें -विष्णुवें गौतम बुद्ध आदिमजाति की भूमी है।
मिट्टी की धूल के कणों में राम नाम का खुबी है।
वक्त का नाम राही शक्ति जो शव में प्रवेश करता है।
शिव ही शक्ति पुंज श्रृष्टि का करता और धरता है।
वक्त बड़ा वेरहम निर्दयी बार -बार बदलता है।

  शिव कुमार खरवार राही
  राष्ट्रीय प्रवक्ता
  अखिल भारतवर्षीय खरगवंशी ( खरवार ) क्षत्रिय महासभा 


  कार्यकर्ता भाजपा 


  बाल स्वयम् सेवक (RSS)
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