'स्वावलंबन' की गांधीवादी भावना ही 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के पीछे की मार्गदर्शक ताकत है- उपराष्ट्रपति

'स्वावलंबन' की गांधीवादी भावना ही 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के पीछे की मार्गदर्शक ताकत है- उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज 'स्वावलंबन' (आत्मनिर्भरता) की गांधीवादी भावना को 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के पीछे मार्गदर्शक ताकत के रूप में वर्णित किया और कहा कि इस दृष्टिकोण के अच्छे परिणाम मैन्यूफेक्चरिंग से लेकर रक्षा और अंतरिक्ष अन्वेषण तक सभी क्षेत्रों में दिखाई दे रहे हैं।

गुजरात के तीन दिवसीय दौरे पर आए उपराष्ट्रपति ने आज साबरमती आश्रम का दौरा किया और कहा कि चरखे को देखते ही राष्ट्रपिता के संदेश की याद आ जाती है, जिन्होंने आत्मनिर्भरता को 'सभी स्वतंत्रताओं की कुंजी' करार दिया था।

साबरमती आश्रम की अपनी यात्रा को "प्रेरणादायक" बताते हुए, श्री धनखड़ ने विजिटर्स बुक में यह टिप्पणी लिखी -

 “साबरमती आश्रम में आकर धन्य हो गया- गांधीवादी विचार और जीवन शैली का यह एक पवित्र मंदिर है।

इस पवित्र स्थान से गांधीजी ने नमक सत्याग्रह शुरू किया और सत्य और अहिंसा की शक्ति से दुनिया को रोशन किया।

गांधीजी की विरासत के खजाने को एक प्राचीन रूप में संरक्षित करना आश्रम की पहचान है।

आश्रम की यात्रा एक राष्ट्रीय तीर्थयात्रा की तरह है जो मानवता की सेवा में हमेशा रहने के लिए प्रेरित करेगी।”

इसके बाद, उपराष्ट्रपति ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, गांधीनगर में गुजरात सरकार द्वारा आयोजित 'उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता' पर आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया।

इस अवसर पर बोलते हुए, श्री धनखड़ ने राज्य की अपनी पहली यात्रा को अविस्मरणीय अनुभव बताया और गर्मजोशी भरे आतिथ्य और स्नेह के लिए गुजरात के लोगों को धन्यवाद दिया।

उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 को लागू करने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए राज्य की तारीफ की। उन्होंने नई नीति को "एक गेम चेंजर" करार देते हुए कहा कि यह एक सुविचारित नीति है जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करती है और उम्मीद है कि इस शिक्षा नीति को सभी राज्य सही भावना से लागू करेंगे।

उन्होंने सामान्य रूप से भारत और विशेष रूप से गुजरात को अवसरों की भूमि और निवेश के लिए पसंदीदा स्थान बताते हुए कहा कि राज्य विकास के लिए आदर्श है। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित कानून के छात्रों से कहा, "वैश्विक कानूनी प्रणाली का हिस्सा बनने के लिए तकनीकी विकास के कारण अब आप अच्छी स्थिति में हैं।"

यह उल्लेख करते हुए कि भारतीय प्रतिभा दुनिया के हर क्षेत्र में है, श्री धनखड़ ने कहा कि शिक्षा में निवेश से वर्तमान के साथ साथ भविष्य में भी सुधार होता है। उन्होंने कहा “यह शिक्षा ही है जो अकेले बदलाव लाती है। यदि हमारे पास उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता है, तो इनोवेशन होगा, रचनात्मकता होगी और अनुसंधान होगा”।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि कुछ देश और लोग भारत के विकास को पचा नहीं पा रहे हैं लेकिन "दुनिया जानती है कि भारत का उदय रुकने वाला नहीं है।"

एक दिन पहले स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की अपनी यात्रा को याद करते हुए, उपराष्ट्रपति ने इसे "दुनिया में एक अजूबा" बताते हुए कहा कि "इस अद्भुत रचना और वहां के पूरे ईकोसिस्टम ने मुझे एक भारतीय के रूप में बहुत गर्व महसूस कराया।"

इस आयोजन के दौरान, श्री धनखड़ ने कानूनी और पर्यावरण के क्षेत्र में विभिन्न स्टार्टअप और उद्यमियों को सम्मानित किया और इंस्टीट्यूट ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्नोलॉजी रिसर्च एंड मैनेजमेंट (आईआईटीआरएएम) में ड्रोन टेक्नोलॉजी में उत्कृष्टता केंद्र का भी शुभारंभ किया। गुजरात के राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ उपराष्ट्रपति ने भी राज्य में विभिन्न शैक्षिक परियोजनाओं का वर्चुअल मोड में शिलान्यास किया।

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल, गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतूभाई वघानी, गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) एस शांताकुमार, गुजरात और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस कार्यक्रम में शामिल हुए।