प्रधानमंत्री केवड़िया में राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह में सम्मिलित हुए

प्रधानमंत्री केवड़िया में राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह में सम्मिलित हुए

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर सरदार पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित की और राष्ट्रीय एकता दिवस से जुड़े कार्यक्रमों में हिस्सा लिया।

प्रधानमंत्री ने आरंभ में कल मोरबी में हुई दुर्घटना के हताहतों के प्रति गहरा दुःख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यद्यपि वे केवड़िया में हैंलेकिन उनका हृदय मोरबी की दुर्घटना के पीड़ितों के साथ है। उन्होंने कहा, “एक तरफ हृदय दुख से बोझिल हैवहीं दूसरी तरफ कर्म और कर्तव्य का पथ है।” उन्होंने कहा कि कर्तव्य-पथ और उत्तरदायित्व की भावना उन्हें राष्ट्रीय एकता दिवस में खींच लाई है। प्रधानमंत्री ने उन सभी के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त कीजिन्होंने कल की दुर्घटना में अपने प्राण खो दिये हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार पीड़ितों के परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। राज्य सरकार बचाव कार्य में जुटी है और केंद्र सरकार हर संभव सहयोग कर रही है। प्रधानमंत्री ने बताया कि सेना और वायुसेना की टीमों के साथ एनडीआरएफ की टीमों को बचाव कार्य में लगाया गया है। साथ ही अस्पतालों द्वारा भी पूरी सहायता दी जा रही हैजहां घायलों का उपचार चल रहा है। उन्होंने इस बात का संज्ञान लिया कि गुजरात के मुख्यमंत्री मोरबी पहुंच गये हैं और बचाव अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने घटना की जांच करने के लिये एक समिति भी गठित कर दी है। प्रधानमंत्री ने देशवासियों को आश्वस्त किया कि बचाव अभियानों में कोई कसर बाकी नहीं रखी जायेगी। इस त्रासदी के कारण सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन रद्द कर दिया गया।  

प्रधानमंत्री ने वर्ष 2022 में एकता दिवस की महत्ता को रेखांकित कियाक्योंकि यह वह वर्ष हैजब हमने अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे किये हैं और हम नये संकल्पों के साथ आगे बढ़ रहे हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि हर स्तर पर एकता जरूरी होती हैचाहे वह परिवार में होसमाज या राष्ट्र में। उन्होंने कहा कि यह भावना हर जगह 75,000 एकता दौड़ों के रूप में परिलक्षित हो रही है। उन्होंने कहा, “पूरा देश सरदार पटेल के दृढ़ संकल्प से प्रेरणा ग्रहण कर रहा है। हर नागरिक देश की एकता और पंच-प्रण’ का संकल्प ले रहा है।

 प्रधानमंत्री ने कहा, “सरदार पटेल जैसे नेताओं के नेतृत्व के बिना हमारे स्वतंत्रता संघर्ष की कल्पना करना कठिन है। अगर 550 से अधिक रजवाड़ों का विलय न किया जातातब क्या हुआ होता?” “क्या हुआ होता?” प्रधानमंत्री ने प्रश्न किया, “अगर हमारे रजवाड़ों ने बलिदान की गहरी भावना और मां भारती में आस्था न व्यक्त की होती” उन्होंने कहा, “यह असंभव कार्य सरदार पटेल ने पूर्ण किया।” प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा, “सरदार पटेल की जयंती और एकता दिवस हमारे लिये कैलेंडर की तारीखें नहीं हैंवे भारत की सांस्कृतिक शक्ति का महोत्सव हैं। भारत के लिए एकता कभी मजबूरी नहीं रहीयह हमेशा हमारे देश की विशेषता रही है। एकता हमारी विलक्षणता रही है।” उन्होंने कहा कि कल मोरबी में जो दुर्घटना हुईउस जैसी आपदा के समयपूरा देश एक-साथ आगे आ जाता है और देश के हर भाग में लोग प्रार्थना करते हैंमदद पहुंचाते हैं। महामारी के समयदवाराशन और वैक्सीन में सहयोग के मामले में ताली-थाली’ के भावनात्मक मेल के रूप में यह एकता खुलकर प्रकट हुई थी। खेलों में सफलताउत्सवों के समय और जब हमारी सीमाओं पर खतरा आता है तथा जब हमारे सैनिक सीमाओं की रक्षा में तत्पर होते हैंतब भी यही भावना दिखाई देती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सब भारत की एकता की गहराई का प्रतीक हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह एकता सदियों से आक्रांताओं को खटकती रही है। आक्रांताओं ने विघटन का बीज बोकर इसे कमजोर करना चाहाहालांकि एकता के अमृत ने उनकी साजिशों को नाकाम कर दियाएकता का यह अमृत हमारी चेतन-धारा में मौजूद रहा है। उन्होंने सबसे सावधान रहने को कहा क्योंकि कुछ ताकतें भारत के विकास और प्रगति से जलती हैं और वे जातिक्षेत्रभाषा के आधार पर विघटन के लिए सक्रिय हैंप्रयास कर रही हैं। इन प्रयासों के तहत इतिहास को भी विघटनकारी रूप में प्रस्तुत करती हैं। उन्होंने गुलामी की मानसिकतास्वार्थ भावतुष्टिकरणभाई-भतीजावादलालच और भ्रष्टाचार के प्रति भी सावधान कियाक्योंकि ये सब देश को विभाजित तथा कमजोर कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “हमें एकता के अमृत से विघटन के जहर को काटना होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, “एकता दिवस के अवसर परमैं सरदार साहब द्वारा हमें सौंपे गये दायित्व को फिर से दोहराना चाहता हूं।” उन्होंने कहा कि राष्ट्र की एकता को मजबूत करने की जिम्मेदारी हर नागरिक की है और यह तभी संभव होगाजब देश का हर नागरिक जिम्मेदारी की भावना के साथ कर्तव्यों का निर्वहन करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा, “जिम्मेदारी की भावनासबका साथसबका विकाससबका विश्वास और सबका प्रयास वास्तविकता बनेगा तथा भारत विकास-पथ पर आगे बढ़ेगा।” उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाएं बिना किसी भेदभाव के देश के हर व्यक्ति तक पहुंच रही हैं। उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि जिस तरह से सूरतगुजरात के लोगों तक आसानी से मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध हैउसी तरह अरुणाचल प्रदेश के सियांग के लोगों को भी मुफ्त वैक्सीन उसी आसानी के साथ उपलब्ध है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान जैसे मेडिकल संस्थान अब केवल गोरखपुर में ही नहींबल्कि बिलासपुरदरभंगागुवाहाटीराजकोट और देश के अन्य भागों में भी मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि रक्षा गलियारे का विकास कार्य न केवल तमिलनाडु मेंबल्कि उत्तरप्रदेश में भी पूरे जोर-शोर से चल रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वैसे तो विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न भाषाएं बोली जाती हैंलेकिन सरकारी योजनाएं पंक्ति के अंतिम व्यक्ति को जोड़ते हुए भारत के हर भू-भाग तक पहुंच रही हैं।

देश के लाखों लोग किस तरह से बुनियादी जरूरतों के लिए दशकों से प्रतीक्षा करते रहेइसका उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “अवसंरचना में अंतराल जितना कम होगाएकता उतनी मजबूत होगी।” उन्होंने कहा कि भारत सबको समाविष्ट करने के सिद्धांत पर काम कर रहा हैजिसका उद्देश्य है कि हर योजना का लाभ हर लाभार्थी तक पहुंचे। प्रधानमंत्री ने सबके लिये आवाससबके लिये डिजिटल कनेक्टिविटीसबके लिये स्वच्छ ईंधनसबके लिये बिजली जैसी योजनाओं का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि शत-प्रतिशत नागरिकों तक पहुंचने का मिशन इस तरह की सुविधाएं देने तक सीमित नहीं हैबल्कि जोर संयुक्त लक्ष्यसंयुक्त विकास और संयुक्त प्रयास के साझा उद्देश्य पर है। प्रधानमंत्री ने रेखांकित करते हुए कहा कि जीवन की बुनियादी जरूरतों की पूर्ति देश के प्रति आम आदमी के विश्वास का माध्यम बन रही है तथा संविधान भी आम आदमी के आत्मविश्वास के माध्यम के रूप में काम कर रहा है। भारत के लिए सरदार पटेल की इस परिकल्पना का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “हर भारतवासी के लिये समान अवसर होंगेऔर समानता की भावना पैदा होगी। आज देश इस परिकल्पना को साकार होते देख रहा है।

प्रधानमंत्री ने अतीत का हवाला दिया कि पिछले आठ वर्षों में देश ने हर उस क्षेत्र को प्राथमिकता दी हैजिन्हें दशकों तक उपेक्षित रखा गया। उन्होंने कहा कि देश ने जनजातीय गौरव दिवस मनाने की परंपरा शुरू कर दी हैताकि हम जनजातियों के गौरव को याद कर सकें। इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री ने बताया कि देश के कई राज्यों में जनजातीय संग्रहालय बनाये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने देशवासियों का आह्वान किया कि वे मनगढ़ धाम और जम्बूगोधा के इतिहास को जानें। उन्होंने कहा कि विदेशी आक्रांताओं द्वारा किए जाने वाले कई नरसंहारों का सामना करते हुए आजादी मिली है। उन्होंने कहा, “तब कहीं हम आजादी का मूल्य और एकता का मूल्य जान पायेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एकता नगर भारत के एक आदर्श शहर के रूप में विकसित हो रहा हैजो न केवल देश मेंबल्कि पूरे विश्व में अभूतपूर्व होगा। उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा कि यह लोगों और शहर की एकता हैजो जन भागीदारी की ताकत पर विकसित हो रही हैलोगों की एकता सेजनभागीदारी की शक्ति से विकसित होता एकता नगरआज भव्य भी हो रहा है और दिव्य भी हो रहा है। श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के रूप में दुनिया की सबसे विशाल प्रतिमा की प्रेरणा हमारे बीच है।

एकता नगर के विकास मॉडल पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब देश में पर्यावरण की रक्षा के लिए किसी मॉडल शहर की बात होगीएकता नगर का नाम आएगा। जब देश में बिजली बचाने वाले एलईडी से प्रकाशित किसी आदर्श शहरसौर ऊर्जा से चलने वाले क्लीन ट्रांसपोर्ट सिस्टम की बात आएगीपशु-पक्षियों केविभिन्न प्रजातियों के जीव-जंतुओं के संरक्षण की बात होगीतो सबसे पहले एकता नगर का नाम आएगा। प्रधानमंत्री ने कल की बात याद की जब उन्हें मियावाकी फॉरेस्ट और मेज गार्डेन का लोकार्पण करने का अवसर मिला था। उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा कि एकता मॉलएकता नर्सरीविविधता में एकता को प्रदर्शित करने वाला विश्व वनएकता फेरीएकता रेलवे स्टेशनये सारे उपक्रमराष्ट्रीय एकता को मजबूत करने की प्रेरणा हैं।

अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता-उपरान्त देश की एकता में सरदार साहब की भूमिका को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने बताया कि सदियों तक राज करने वाले शाही परिवारों ने कर्तव्य भावना के साथ देश की एकता की नई व्यवस्था के लिए अपने अधिकारों का बलिदान कर दियाजिसका कारण सरदार पटेल का प्रयास था। आजादी के बाद दशकों तक शाही परिवारों के इस योगदान की उपेक्षा की जाती रही। प्रधानमंत्री ने कहा, “इन शाही परिवारों के बलिदान के प्रति समर्पित एक संग्रहालय एकता नगर में बनाया जायेगा। ये देश की एकता के लिए त्याग की परंपरा को नई पीढ़ियों तक पहुंचाएगा।

पृष्ठभूमिः

प्रधानमंत्री की परिकल्पना से प्रेरित होकर 2014 में यह निर्णय किया गया था कि 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म-जयंती मनाई जायेगीताकि देश की एकताअखंडता और सुरक्षा को मजबूत बनाने तथा उसे कायम रखने के प्रति अपने समर्पण भाव पर जोर दिया जाये। प्रधानमंत्री ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटीकेवड़िया में राष्ट्रीय एकता दिवस समारोहों में हिस्सा लिया। समारोह में राष्ट्रीय एकता दिवस परेड का आयोजन किया गयाजिसमें बीएसएफउत्तरी क्षेत्र (हरियाणा)पश्चिमी क्षेत्र (मध्यप्रदेश)दक्षिणी क्षेत्र (तेलंगाना)पूर्वी क्षेत्र (ओडिशा) और उत्तर-पूर्व क्षेत्र (त्रिपुरा) से एक-एक दल सहित पांच राज्यों के पुलिस बलों के दल शामिल थे। दलों के सम्मिलित होने के अलावा राष्ट्रमंडल खेल 2022 में छह पुलिस खेल पदक विजेता भी परेड में सम्मिलित होंगे।

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